पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अंत्येष्टि नई दिल्ली के
स्मृति स्थल पर की गई. उनकी दत्तक पुत्री नमिता भट्टाचार्य ने उन्हें
मुखाग्नि दी.
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया था. वे 93 वर्ष के थे.
वाजपेयी की अंतिम यात्रा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल थे.
पाकिस्तान के कानून मंत्री अली ज़फ़र, अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई, श्रीलंका के कार्यवाहक विदेश मंत्री लक्ष्मण किरिएला ने भी भारत रत्न वाजपेयी को अंतिम श्रद्धासुमन अर्पित किए.
सुबह भाजपा हेडक्वार्टर में उनका शव अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया था जहां भाजपा के सभी दिग्गज नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे.
भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी का गुरुवार को दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में निधन हो गया था. वे 93 वर्ष के थे.
वाजपेयी की अंतिम यात्रा में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, कई राज्यों के मुख्यमंत्री, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी शामिल थे.
पाकिस्तान के कानून मंत्री अली ज़फ़र, अफ़ग़ानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई, श्रीलंका के कार्यवाहक विदेश मंत्री लक्ष्मण किरिएला ने भी भारत रत्न वाजपेयी को अंतिम श्रद्धासुमन अर्पित किए.
सुबह भाजपा हेडक्वार्टर में उनका शव अंतिम दर्शनों के लिए रखा गया था जहां भाजपा के सभी दिग्गज नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे.
बात 1957 की है. दूसरी लोकसभा
में भारतीय जन संघ के सिर्फ़ चार सांसद थे. इन सासंदों का परिचय तत्कालीन
राष्ट्रपति एस राधाकृष्णन से कराया गया.
तब राष्ट्रपति ने हैरानी
व्यक्त करते हुए कहा कि वो किसी भारतीय जन संघ नाम की पार्टी को नहीं
जानते. अटल बिहारी वाजपेयी उन चार सांसदों में से एक थे.
तब उन्होंने जनसंघ का नाम नहीं
सुना हो लेकिन आज जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी बनने के सफ़र में भाजपा ने
कई पड़ाव तय किए और देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है.
भारतीय जनसंघ से भारतीय जनता पार्टी और सांसद से देश के प्रधानमंत्री तक के सफ़र में अटल बिहारी वाजपेयी ने कई पड़ाव तय किए हैं.
नेहरु-गांधी परिवार के
प्रधानमंत्रियों के बाद अटल बिहारी वाजपेयी का नाम भारत के इतिहास में उन
चुनिंदा नेताओं में शामिल हुआ जिन्होंने सिर्फ़ अपने नाम, व्यक्तित्व और
करिश्मे के बूते पर सरकार बनाई.
25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर के
एक निम्न मध्यमवर्ग परिवार में जन्मे वाजपेयी की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा
ग्वालियर के विक्टोरिया (अब लक्ष्मीबाई) कॉलेज और कानपुर के डीएवी कॉलेज
में हुई.
उन्होंने राजनीतिक विज्ञान में
स्नातकोत्तर किया और पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया. उन्होंने
राष्ट्र धर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन का संपादन किया.
1951 में वो भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे. अपनी कुशल भाषण शैली से राजनीति के शुरुआती दिनों में ही उन्होंने रंग जमा दिया.
वाजपेयी लखनऊ में एक लोकसभा उप
चुनाव हार गए थे. 1957 में जनसंघ ने उन्हें तीन लोकसभा सीटों लखनऊ, मथुरा
और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया. लखनऊ में वो चुनाव हार गए, मथुरा में उनकी
ज़मानत ज़ब्त हो गई लेकिन बलरामपुर से चुनाव जीतकर वो दूसरी लोकसभा में
पहुंचे. अगले पाँच दशकों के उनके संसदीय करियर की यह शुरुआत थी.
1968 से 1973 तक वो भारतीय
जनसंघ के अध्यक्ष रहे. विपक्षी पार्टियों के अपने दूसरे साथियों की तरह
उन्हें भी आपातकाल के दौरान जेल भेजा गया.
1977 में जनता पार्टी सरकार
में उन्हें विदेश मंत्री बनाया गया. इस दौरान संयुक्त राष्ट्र अधिवेशन में
उन्होंने हिंदी में भाषण दिया और वो इसे अपने जीवन का सबसे सुखद क्षण बताते
रहे.
1980 में वो बीजेपी के
संस्थापक सदस्य रहे. 1980 से 1986 तक वो बीजेपी के अध्यक्ष रहे और इस दौरान
वो बीजेपी संसदीय दल के नेता भी रहे.